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Jaane Kahaa ??? The Revolution भाग 34

दोस्तो, पुरे 2 महिने के बाद अगला अपडेट दे रहा हु। कुछ ज्यादा ही बीजी रहा इन दो महीनो मे। आज से फिर 'जाने कहा ??? ध रीवोल्युशन' की यात्रा शुरु कर रहा हु....अब से नियमित अपडेट आते रहेंगे...देरी के लिये क्षामा चाह्


अपडेट34

 

उदयन ने जय के साथ एक रिक्शो में बैठकर बोला,”सेमिनरी हील|”

 

जय रिक्शो के अन्दर बैठते हुवे पूछा,”वहा हम क्यु जा रहे है?”

 

उदयन ने चुप रहने का इशारा किया और करीब आधे घंटे के बाद दोनों सेमिनरी हील पहुच गये| सेमिनरी हिल कुछ पहाडी क्षेत्र था|  रोड से साइड होते हुवे उदयन आगे चल रहा था और जय पीछे पीछे| दो तीन ढलान ऊपर नीचे चलने के बाद कुछ ही दूरी पर पुरी मंडली बैठी हुई थी|कोई भी देखता तो यही लगता की कोलेज पिकनिक हो रही है| शहर से दूर पहाडी क्षेत्र में आराम से और आसानी से क्रांती की बाते हो सकती है, इसीलिए क्रान्तिकारीयो ने ये जगह चुनी थी|जय और उदयन वहा पहुचे तो जय दुसरी बार सब को मिल रहा था, सब ने जय का वेलकम किया और दोनों वहा बैठ गये| कुछ पल के बाद साजन ने बोलना शुरू किया....

 

दोस्तों, जैसे मै पिछले दो दिनों से बारी बारी आप सब लोगो को बता रहा हु की जय आज से हमारे मिशन में शामिल है तो जय आ पहुचा है, कीसी को कोई भी प्रश्न, ऐतराज या दुविधा हो तो बता सकते है| दूसरी बात, जय की कझिन और समाधी ट्रस्ट की चहिती साधिका और गुरुदेव की अति निकट मिली नाम की लड़की का इन हरामीयो ने किडनेप किया है और गुरुदेव की आज्ञा से ही जय इस मिशन को जोइन कर रहा है|”

 

सब खुश हुवे और तालियो से जय का स्वागत किया गया| जय ने भी धन्यवाद प्रकट किया|

 

अब साजन ने जय की ओर मुड़ते हुवे कहा,”जय, पहले मै तुजे शोर्ट में समजाता हु की आज तक हमने कौन सा कार्य कैसे और क्यु किया?”

 

जय ने हां में सिर हिलाया तो साजन आगे बोलने लगा,”जैसे तुजे पता है लेकिन फिर भी मै दुबारा बताना चाहूँगा की मी. रिशी जयपुर के कलेक्टर के पी.. थे और मीसीस रिशी इंजिनियर और संजयभाई और अमरभाई ने साधक के तौर पर ऑलमोस्ट पूरा भारतभ्रमण किया है| नेताओं के सताये हुवे लोगो की मदद से बहुत कुछ उसके खिलाफ मटीरियल्स इकठ्ठा किया है| भारत की गंदी राजनीती की मुख्य जड़ राजस्थान के पोलिटीशियन्स है|  खेंगारसिंघ सब से बड़ा खतरनाक है जिस ने आज पुरे भारत की राजनीती को अपने कब्जे में कर रखा है| इसीलिए हमारा पहला शिकार खेंगारसिंघ और उस का बेटा रणवीरसिंघ है|  हमने जो पहला वार किया की वो पिक्चर्स जो मैंने तुजे दिखाए थे वो संजयभाई और अमरभाई की पुरे एक साल की मेहनत थी और दूसरा जो लीडर्स की पार्टीज की फोटो है वो सब को सुनकर बड़ा आश्चर्य होगा लेकिन मुझे कल ही पता चला है की वो फोटोज मिली ने खीची है|

 

सब के मुह से निकल गया,”व्होट? क्या?”

 

साजन,”जी हां, और ये बात मुझे भी मालुम नहीं थी| परन्तु आज ही मेरे पास एक पार्सल आया है जिसे मै बाद में पढ़ता हु| दूसरा वार जो हमने किया वो मी. एंड मिसीस रिशी की वजह से पोसिबल हुवा है|मिसीस रिशी ने जो मटीरियल्स रिजेक्ट किया था उस समय उसने उस की सारी ज़ेरोक्स अपने पास रख ली थी और फ़ाइल में नोटिंग्स भी किया था| फाइल्स की कोपी पैसे देकर हमने खरीद ली है और बाकी का काम मी. रिशी के कुछ दोस्तों की वजह से आसान हो गया और हमने राजस्थान के फ्लायओवर का ड्रामा एक्सपोज किया| अब मै मिली का पत्र सुनाता हु|” इतना कहकर साजन ने एक चिठ्ठी खोले और पढ़ने लगा|

 

क्रांतिकारी भाइओ और बहनों को मेरा नमस्कार,

 

मेरा नाम मिली है और मै स्वामी रामानंद जी द्वारा स्थापित समाधि ट्रस्ट की साधिका हु|स्वामीजी को कुछ नेताओं ने गलत कार्य करने को और सत्ता के लिए प्रचारकार्य करने को जोर डाला था जिसका गुरूजी ने सादर इनकार कर दिया था | क्युकी मै बचपन से ही आश्रम में पली हु और बड़ी हुई हु और गुरूजी के सब से निकट हु, इसीलिए इन्ही लोगो ने मेरा अपहरण किया और गुरूजी को ब्लेकमेल किया है की अगर गुरूजी उनका कहा नहीं मानेंगे तो वे लोग मेरे साथ गलत सुलूक कर सकते है|

 

लेकिन मै जानती हु की गुरुकृपा में मेरा अहित हो ही नहीं सकता|मुझे गुरूजी का सन्देश मिल चुका है की आपलोग एक विराट कार्य में जुड़े हो| इसीलिए मुझे गुरूजी की आज्ञा से उनकी पर्सनल फोटो खीचना और विडिओ टेप करना वगैरह कार्य दिया गया है| पिछली बार मैंने जो फोटोज निकाले थे, वो आपलोग तक मैंने ही भेजे थे और तब तक मुझे भी नहीं पता था की गुरूजी ने आपलोग को इस कार्य में आशीर्वाद दिया हुवा है| अब मै जान चुकी हु की आपलोगो के साथ गुरूजी का आशिर्वादे है| पहली बार भेजा हुवा मटीरियल्स का आपलोगों ने बड़ा सुन्दर उपयोग किया है| आशा है की इस बार भी कोई निराश नहीं होगा| मै आप लोगो के लिए और कुछ भेज रही हु खुद ही देख लीजियेगा|

 

तीसरी मेरी चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है| क्युकी मै जहा भी रहूंगी मेरा प्रोटेक्शन परमात्मा अपने आप करता रहेगा|वेसे भी मैंने इन नेताओं को बातचीत करते सुन लिया है की उनकी कुछ खानगी बाते गुरूजी भी जानते है| इसीलिए वे लोग मेरे साथ बुरा सुलूक कर ही नहीं सकते| बस ऐसे ही मुझे बान में रखा है| लेकिन मुझे गुरूजी की भी आज्ञा है की अभी मेरा कार्यक्षेत्र यहा है तो मै यहा कार्य कर रही हु|

 

एक साधक होने के नाते ही नहीं बल्की एक सच्चे भारतीय होने के नाते भी हमें गुरूजी, समाधि ट्रस्ट की गरीमा और अपने देश तक को बचाना हमारा परम कर्त्तव्य है और समाधि ट्रस्ट का मूलभूत सिद्धांत भी यही है| इसीलिए स्वामीजी हमेशा कहते है,”हे युवानो अब जागो, अत्याचार सहन करना भी तो पाप है”, इसीलिए मेरी नजर में हम कोई पाप नहीं कर रहे है लेकिन पापीयो को सबक जरुर सिखा सकते है और इस कार्य में हम कुछ भी बुरा रास्ता नहीं अपनायेंगे| मुझे जो कार्य सौपा गया है, मै पुरी निष्ठा से कर रही हु और आपलोग से भी यही उम्मीद है|

 

गुरुकृपा से मुझे फोटो खीचने का और कार्य करने का समय और मौक़ा दोनों आराम से मिल जाते है और आप तक भेजने का तरीका भी गुरूजी ही निकालते है| इसीलिए आपलोग निश्चिंत रहिये हमारे द्वारा ही हमेशा आपलोगों तक सन्देश पहुचते रहेंगे|

 

आपलोगों को आगे के कार्य के लिये शुभकामनाये|

 

मिली

 

कुछ देर तक लेटर के सामने सब देखते रहे, जय ने लेटर हाथ में पकड़कर देखा और अक्षर देखने लगा| बोलापेन से सुंदर अक्षरों से लिखा हुवा पत्र था और शायद जय उस में मिली का चेहरा ढूंढ रहा था|साजन ने बड़ा कवर सब के बीच रखा और उस में से कुछ निकाला और सब के सामने रखा| कुछ तस्वीरे थी और साथ में उर्दू में कुछ लिखे हुवे कागज़ थे| साजन ने एक के बाद एक तस्वीरे सब को दिखाई|

 

उन तस्वीरों में खेंगारसिंघ और रणवीरसिंघ कुछ लोगो के साथ हाथ मिलाते हुवे, शराब पीते हुवे दिखाई दे रहे थे| कुछ तस्वीरो में अलग अलग राज्यों के बड़े बड़े नेतालोगो की पार्टीज, नाचगाना,और शराब की महेफिल दिखाई दे रही थी| कुल मिलाकर 36 तस्वीरो की नेगेटीव्स थी और तस्वीरे भी थी| उर्दू भाषा में लिखे हुये कुछ पेपर्स को साजन ने मुनीश को दिखाया और कहा,”तेरे को अगर उर्दू आती है तो पढ़ के सुना|

 

मुनीश ने कागज लिया और पढ़ने के बाद समजकर सब को बताया की,“इस कागज में खुफिया भाषा में बताया गया है कोइ बेंक के लोकर्स में कुछ अगत्य के दस्तावेज को रख दिया जाये| उन कागजो में कीसी के नाम का उल्लेख नहीं किया गया था|लेकिन लगता है की ख़ास कोडवर्डस से व्यक्तियों का उल्लेख किया गया हो| खास कर के अल्लाह का बंदा कोडवर्ड कीसी को दिया गया है|क्युकी ख़त में इस का नाम चार बार लिया गया है|इस ख़त से ये साबित होता है की खेंगारसिंघ का पाकिस्तान की खुफिया संस्थाओं से भी कुछ कनेक्शन है| क्युकी उर्दू भाषा केवल पाकिस्तानी त्रासवादी संस्था ही प्रयोग कर सकती है| ये तो देशद्रोही प्रवृत्तियों में भी शामिल है|”

 

बिरजु,”सवाल ये है की इस का उपयोग क्या और कैसे करे?

 

साजन,”हमारी आज तक की चाल तो यही रही है की हम पोस्टर्स छपवाके चिपकाते आ रहे है और आज तक कामयाब रहे है, लेकिन पिछली बार के पोस्टर्स से उन लोगो को जरुर शक हुवा होगा की इस कार्य में मी. और मीसीस रिशी का हाथ है| दूसरा इस उर्दू भाषा के पत्र का उपयोग कैसे करेंगे, इसे छपवायेंगे तो भी आम जनता को थोड़े ही कुछ पता चलेगा?

 

मिसिस रिशी ने जवाब देते हुवे कहा,”आप की बात सही है साजनभाई, उन लोगो को हम पर शक हुवा ही होगा और शायद वे लोग हमें ढूंढ ही रहे होंगे| लेकिन हमलोग भी डरने वालो में से नहीं है| आखरी सास तक लड़ेंगे| हमने तो अपने बच्चे खो गवाकर सबकुछ खो दिया है| दोनों ने नौकरी भी खो दी है| इसीलिए हम पहले से ही सिर पर कफ़न पहन के निकले है इस मार्ग पर|

 

संजयभाई,” साजनभाई इस बार हम एक नया खेल खेलते है|

 

सब की निगाहें संजयभाई पर टिक गई|

 

संजयभाई ने आगे बोलना जारी रखा,”आज तक हमने पोस्टर्स चिपकाये है और उन लोगो की नींदे हराम कर के रखी है|लेकिन फिर भी राजकीय जोर पर वे लोग टिके रहे है| संभव है की इन दोनों की जान को खतरा है (मी. एन्ड मीसीस रिशी की तरफ चेहरा मुड़ते हुए)| इसीलिए ये दोनो पति पत्नी कम से कम दो महीने के लिए इस कार्य से दूर रहे और कीसी अज्ञातवास में चले जाये| दूसरा कीसी तरह से हमें मिली को भी छुडाना ही होगा| इसीलिये कोई ऐसा रास्ता अपनाते है की हमारा कार्य भी शुरू रहे और उस के पास मिली को छोड़ने के सिवा कोई दूसरा रास्ता भी बाकी न रहे|

 

अब पहलीबार जय बीच में बोला,”और इस के लिए क्या कर सकते है हम?

 

संजयभाई ने कुछ पल सब के सामने देखा और फिर बोल उठे,”ब्लेकमेइल |”

 

वहा बैठे सब के मुह से निकल गया,”व्होट?

 

संजयभाई ने लम्बी आह लेकर कहा,”जी हा दोस्तों अब कुछ आमने सामने आ जाये तो अच्छा है, क्युकी कोई इस के सामने आयेगा तो ही उन लोगो का ध्यान डायवर्ट हो सकता है और रिशी कपल की जान बच सकती है| इसीलिए कीसी और के नाम से हम एक ख़त खेंगारसिंघ को लिखेंगे और ये सब तस्वीर भेजेंगे और लिखेंगे की मिली को रिहा कर दो तो ही वे लोग बच सकेंगे वरना कुछ मोहलत के बाद इसे हम पुलिस के हवाले कर देंगे और मीडिया में छपवा देंगे| इस धमकी से उन लोगो का खेल भी ख़त्म और बरसो पुरानी राजकीय कारकीर्दी भी ख़त्म|”

 

उदयन,”बट इटस अ रिस्क टू ध लाइफ ऑफ़ मिली !”

 

निशी,”ऑफ़ कोर्स, ये तो स्युसाइड है संजयभाई|

 

संजयभाई,”नहीं निशीबहन, ऐसा कुछ नहीं होगा| हम खुफिया नाम से धमकी लिखेंगे और उन लोगो के पास मिली को छोड़ने के सिवा और कोई भी रास्ता नहीं होगा|

 

जय ने बीच में कहा,”लेकिन, ऐसा करने के बाद सामने हमें भी तो ये सबकुछ वापस देना होगा ना और उस के लिये हम में से कीसी को तो उसके सामने आना ही होगा| इसका मतलब जो भी आगे आयेगा उस की जान को खतरा है|”

 

साजन,”यस, एग्रीड जय की बात में पोइन्ट है| चाहे हम खुफिया नाम से लेटर लिखे लेकिन सौदा करने के लिए कीसी को तो आगे आना ही होगा ना|

 

संजयभाई,”लेकिन अभी तो ये नौबत नहीं आयेगी ना| पहले देख तो ले की ऐसा लेटर जाने से उनलोगों पर क्या असर पड़ती नही, देखे तो सही|

 

जय,”संजयभाई, ये तो अंधेरे में तीर छोड़ने की बात है|इस से तो वे लोग आराम से हम तक पहुच सकते है|

 

संजयभाई,”देखिये, ये रिवोल्यूशन भी तो एक तरह से अँधेरे में तीर छोड़ने की ही बात है ना| आज तक कोई सुराग उनको मिला पाया है क्या?” इतना बोलकर कुछ पल सब शांत रहे तो संजयभाई ने आगे बोलना जारी रखा,“मेरे हिसाब से तो ये रिस्क आज नहीं तो कल लेना ही होगा, तो फिर क्यु ना आज से ही जंग शुरू करे? कल हमे उन के सामने तो आना ही होगा ना|

 

सब ने हा मे सर हिलाया|

 

जय ने एक्सक्यूज मी कहकर बीच मे दलील की,”आप की बात सही है की आज नहीं तो कल हमे सामने आना ही होगा, लेकिन जब तक हो सके हमारी कोशिश यही रहनी चाहिए की उस से दूर रहकर ही उस पर वार किया जाये, ता की हमें और समय मिल सके| मान लो आज हम उस के सामने आ गये तो हमारे पास क्या सबूत है उनलोगों को पुलिस में पकडवाने के लिये या अदालत में केस चलाने के लिए? हमारी पहली कोशिश यही रहनी चाहिये की उसके खिलाफ सबुत इकठ्ठे करे|दूसरी बात ये है हमारे रिलेटिवस के मौत के बारे में, आपलोगों में से कीसी के पास कोई सबूत है की उनलोगों के कारण आप के रीलेटीवस की मौत या ह्त्या हुई है? नहीं, तो फिर कीस वजह से हम उनके खिलाफ लड़ने निकल पड़े है? सिर्फ एक वजह है वो है मेरी बहन मिली, लेकिन वो इस वक्त कहा है, किस हाल में है वो हम में से कीसी को पता नहीं है|मान लो कल वो मेरे सामने आ जाये तो भी मै उसे पहेचान भी नहीं पाऊंगा| इसीलिए मेरे विचार से अभी ये उपयुक्त समय नहीं है सामने आने का| हा ये जरुर है की कुछ समय के लिये रिशी दंपती को इस कार्य से दूर कर दिया जाये| तीसरा ये क्रान्ति एक तरह की ब्लेक्मेइलिंग ही है तो ये कार्य हम शुरू रख सकते है|

 

सब कुछ देर मौन हो गये| जैसे सब के मन मे दुविधा थी की आगे क्या किया जाये?

 

आखिर में अमरभाई ने मौन तोडा और पूछा,”जय भाई, तो आप के पास कोई प्लान है आगे के कार्य के लिये ?”

 

जय,”फिलहाल तो मेरे पास कोई प्लान नहीं है, लेकिन मै समजता हु की अपने पास जो तस्वीरे है उस का ही प्रयोग किया जाये और कुछ समय तक देखा जाये की क्या होता है?आप आमने सामने आने से पहले एक खुफिया लेटर लिखो या सरे आम पहले की तरह इस के पोस्टर्स बनाकर चीपकाओ दोनो एक ही बात हुइ। तब तक शायद मिली की ओर से कोई चिठ्ठी आये और हमें सुराग मिले की वो कहा है? तो आगे का प्लान करने में समय मिले| दूसरा ये जो उर्दू भाषा का लेटर है उस में जो मुनीश ने पढ़ा, उस के बारे में भी कुछ सोचना चाहिए, क्युकी उस में स्पष्ट तरीके से कुछ दस्तावेज के बारे में लिखा है तो उसे देखने या हासिल करने की कोशिश करनी चाहिये| कैसे वो अभी तो मै भी नहीं जानता, लेकिन समय बितने पर उसका भी हल मिल सकता है| फिर आगे आपलोगों की मरजी|”इतना कहकर जय मौन हो गया|

 

थोड़ी देर बार निशी बोली,”बात तो तेरी भी ठीक है जय, लेकिन आगे करना क्या है वो भी तो सोचे|

 

उदयन,” आई थिंक जय इज राईट, वी शुड हेव सम मोर टाइम टू कम फोरवर्ड|”

 

साजना,”बात सही है, लेकिन फिर आगे करना क्या है वो भी तो हम सोच ले|

 

संजयभाई,”ठीक है अगर हमें थोड़ा और वक़्त बिताना है तो यही सही तो फिर तब तक के लिये हमारी पुरानी रीत हम कंटिन्यु रखते है| इस तस्वीर के पोस्टर्स भी छप के आ जायेंगे और हमारी एप्रुवल के बाद चिपक भी जायेंगे”

 

फिर तो औपचारिक बाते हुई और सब ने तय किया की फिलहाल तो पोस्टर्स ही चिपकाए बाद में सोचेंगे आगे क्या करना है|

 

उस दिन सब धीरे धीरे कर के वापस आ गये और शाम को फिर महफ़िल जमी| आज काफी दिनों के बाद जय भी शामिल हुवा था| सब ने साथ मिलकर सिगरेट्स जलाई और बैठे थे|

 

कुछ वक़्त शेरो शायरी का दौर चला और फिर अचानक जय ने साजन को पूछा,”साजन, ये जो तस्वीरे आती है वो कैसे आती है और इस के पोस्टर्स कहा छपवाए जाते है?

 

साजन,”यही, नागपुर में बाय पोस्ट आते है और पोस्टर्स भी यही छपते है?”

 

जय,”चलो आज तो मिली ने भेजी है लेकिन कल तक कौन भेजता था?

 

साजन,”यार कवर पे कीसी का नाम नहीं होता है, बस रिसीवर में मेरा नाम होता है और कहा से आती थी ये भी मुझे नहीं मालुम है|

 

जय,”तो तुजे कौन कहता था की पार्सल आनेवाला है?

 

साजन,”संजयभाई या तो अमरभाई और कौन? दोनों में से कोई भी एक मुझे बता देते थे की एक दो दिन में पार्सल कहा से आनेवाला होता है|

 

जय,”और पोस्टर्स छपवाने के लिए पैसा कहा से आता है?

 

साजन,”एक फंड हम सब ने इकठ्ठा किया है और उस में हमें अमरभाई और संजयभाई की ही मदद मीली है|

 

जय,”और वे दोनों ने कहा से इकठ्ठा किया है?

 

साजन अब प्रश्नों से उकसा गया और बोल उठा,”अरे जहा से किया हो उस से हमें क्या? हमें तो काम से मतलब है|

 

जय ने चुभती निगाहों से साजन को देखा और चिल्लाया,”क्या? यार तुम लोगो को ये भी नही पता है की तस्वीरे कहा से आती है? कौन भेजता है? पोस्टर्स कहा छपते है? इसके लिए पैसे कहा से आते है? और चले हो क्रान्ति करने के लिए! इसका मतलब अमरभाई और संजयभाई जो भी कहेंगे तुम लोग करने को तैयार हो जाओगे?

 

निशी,”अरे जय, वे दोनों समाधि ट्रस्ट के साधक है|गुरूजी के निकट के साधक है| खेंगारसिंघ और रणवीरसिंघ के सताये हुवे है और इसीलिए वे लोग कार्य कर रहे है और गुरूजी की आज्ञा से हमें गाइड भी कर रहे है| क्युकी उनलोगों ने तो पूरा भारत भ्रमण किया है इसीलिए उस के कोंटेकट्स भी ज्यादा है| और इसीलिए उसे फंड भी आसानी से मिल जाता है और कार्य करने में सरलता भी हो जाती है|

 

जय ने कुछ सोचकर एक लंबा कश खीचा और बोला,”इस का मतलब आज तक तुमलोगों ने जो भी किया वो सब इन दोनों के इशारों पर किया है|एक बात तो समजो यार अगल पार्सल साजन के नाम से हर वक़्त आता है तो कल कुछ होगा तो साजन ही फसेगा ना ! पार्सल क्यु उन दोनों के नाम नहीं आता? बताओ तुम लोग?

 

साजन ने थककर बोला,”जय, इन दोनों इन दोनों से क्या मतलब है? वे भी तो खेंगारसिंघ के सताये हुवे लोग है और हमे मदद कर रहे है| हम सब स्वामीजी का आशीर्वाद लेकर कार्य कर रहे है और मुझे पूरा भरोसा है की स्वामीजी के साधक गलत हो ही नहीं सकते यार|”

 

जय ने समाजाने की कोशिश जारी राखी,”नहीं साजन तुम गलत कह रहे हो| मै भी स्वामीजी का आशीर्वाद लेकर ही इस कार्य में जुड़ा हु लेकिन अपने कान, नाक और आखे खुली हमेशा रखनी चाहिये| सोचो इस कार्य में वो लोग तुम्हारी नहीं बल्की तुम लोग उस की मदद कर रहे हो| अगर उन के पास इतना सबकुछ है तो क्यु आपलोगों को इस कार्य में जोड़ा? जो भी वे लोग रास्ता दिखाते है हम लोग अंधे होकर कुद पड़ते है| क्या हमारी कोई अलग सोच है की नहीं?

 

बिरजू,”तो तु ही बता गलत क्या है और सही क्या है?

 

जय,”गलत ये है की हमारे पास कोई प्लान, कोई सबूत या कोई मकसद नहीं है और चल पड़े है क्रान्ति करने के लिये| जब की हम सिर्फ अँधेरे में जो दुसरे लोग कह रहे है सिर्फ उनको मानकर आगे नीकल पड़े है|

 

साजन ने सीधा निशान जय पर लगाया,”तो तेरे पास कोई प्लान है क्या?

 

जय ने साजन की आखो में आखे डालकर एक लंबा काश लिया और बोला,”हां साजन,मेरे पास प्लान है, लेकिन याद रखो सिर्फ हमारा प्लान होना चाहिये, अगर हम लोगो को क्रान्ती करनी है तो|हम लोग उस आग में कुद पड़े है जहा जलने के सिवा कोई दूसरा रास्ता ही नहीं है| वो तो आज तुम खेंगारसिंघ और रणवीरसिंघ को जलाते आये हो| अगर उन लोगो को ज़रा भी शक हुवा तो याद रखो हमारी नींदे हराम कर के रख देंगे वो लोग|

 

साजन ने मुह बिगाड़कर बोला, “देख जय तु फिर एक बार बुजदिली की बात कर रहा है| अगर तुजे अब भी नहीं जुड़ना है तो मत आ| लेकिन ऐसी डरी डरी बाते मत किया कर|

 

जय ने साजन का हाथ पकड़ा और बोला,”साजन,ये बुजदिली की बाते नहीं है दोस्त, एक बार सोच तो सही| हम एक जमाने से टिके हुये राजकीय हरामीयो के खिलाफ एक बड़ी जंग छेड़ चुके है और एक न एक दिन हमें उसके सामने आना ही होगा| उस दिन क्या तुम स्युसाइड करोगे? अगर तुम्हारे पास उनके खिलाफ कोई शस्त्र नहीं रहेगा तो लड़ोगे कैसे? हमारे पास तो कुछ ठोस सबूत होना चाहिए ना| ये तो सच है की वे लोग पुलिस को कब्जे में कर सकते है तो हमारे पास क्या रास्ता रह जायेगा? न तो सबूत के बीना हम अदालत में जा सकेंगे और न तो उस से हाथो हाथ की लड़ाई लड़ सकते है| हमारे पास न तो कुछ ऐसा है की हम उसका कुछ बिगाड़ पायेंगे|

 

बिरजु,”तू कहना क्या चाहता है जय, कुछ खुल के बता न की हमें करना क्या है?

 

जय ने सिगरेट बुजाकर कहा,”देखो, मै ये क्रान्ति बंध करने की कभी सोच भी नही सकता| दूसरा न तो मै बुजदिली की बाते कर रहा हु|तीसरा न तो मै अँधेरे में खेलने की बाते कर रहा हु|लेकिन कुछ ऐसा कदम हमें जरुर उठाने चाहिए ता की उनलोगों कें खिलाफ कुछ ठोस सबूत हमारे पास आ सके या हम उन से छीन सके| राईट !”

 

सब ने हां में सर हिलाया|

 

साजन ने कुछ पल के बाद कहा,”हम्म, राईट तो आगे क्या करना है बोल ?”

 

जय,”देखो अभी तो हम पोस्टर्स चिपका के काम ले लेंगे लेकिन इसके बाद मै कुछ मिली के द्वारा कार्य कराना चाहता हु|

 

सब एक चित होकर सुन रहे थे|

 

जय,”साजन, मिली उनलोगों के पास है| सेइफ है लेकिन मै उसे एकबार देखना चाहता हु|

 

निशी.”पागल है तु क्या? उसके पास ऐसे कोई जा ही नहीं सकता है|

 

जय,”मै जानता हु तुम या साजन नहीं जा सकते लेकिन मै तो जा सकता हु ना|”

 

साजन उछलकर बोला,”व्होट?

 

जय,”दोस्तों,याद रखो मुझे कभी भी मेरी सिक्श्थ सेन्स ने धोखा नहीं दिया, लेकिन मुझे आज भी कुछ दाल में काला नजर आ रहा है| यु अँधेरे में लड़ने से अच्छा है की पहले पीच देखी जाये और फिर बेटिंग या बोलिंग का निर्णय किया जाये|

 

साजन, “तु करना क्या चाहता है?

 

जय,” एक साथ बहुत कुछ जिस में लाठी भी न टूटे और भेस भी मर जाये| साजन, तुम लोग मुझे रणवीरसिंघ के पास ले जाओगे की ये लडके को क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए उस की जरुरत है और मै और रणवीरसिघ कुछ सौदा तय करेंगे| बाद में हो सके तो मुझे कही न कही मिली मिलेगी ही| वहा जाने से कुछ न कुछ तो जान ने को मिलेगा ही जिस से आगे का एक्शन प्लान हम तय कर सकते है|

 

साजन,” इट्स टू रिस्की यार| अगर रणवीरसिंघ ने पहेचान लिया तो तेरी जान भी जा सकती है|

 

निशी,”यस, जय अभी तेरा पहला दिन है थोड़ी धीरज रख| तेरी सब बात सच्ची है, ये बात हम सब मानते है और एक दिन तू जरुर मिली से मिलेगा|लेकिन इतनी जल्दबाजी में शायद कुछ भी हो सकता है|

 

निशा,“जय, सब कह रहे है तो मान जा की ये सही में बहुत रिस्की प्लान है|

 

जय ने चेहरा नकार में हिलाया और बोला,“प्लीज मुझे कुछ और भी कहने दो| ये बात तो है की मुझे मिली को मिलने की बहुत जल्दी है| लेकिन साथ में ये भी बात है की मुझे रणवीरसिंघ नहीं पहेचानता| इसीलिये मै सब से पहले आगे आऊंगा तो ही सही होगा| मै अगर उस के घर या जहा कही भी मिली है वहा पहुच पाया तो शायद कुछ बात आगे बढ सकती है|वरना हम कब तक यु ही पोस्टर्स छपवाते रहेंगे और बैठे बैठे तमाशा देखेंगे ? याद रखो वो दिन दूर नहीं की हम लोगो पर शक भी आयेगा और हम मुसीबत में भी आ सकते है| इस के पहले की पुलिस या नेताओं के हाथ हम लग जाये, मै चाहता हु की कुछ ठोस सबूत से वे लोग हमारे कब्जे में आ जाये और ये सब कार्य के लिए याद रखो हमारे पास समय बहुत कम है|

 

थोड़ी देर के लिये वहा सन्नाटा छा गया और सब एकदूसरे को देख रहे थे| जय एक के बाद एक तरीका निकाल रहा था|

 

साजन,”तो तूने अमरभाई और संजयभाई जो योजना बोल रहे थे उसे क्यु मना कर दिया?

 

जय,”साजन, मै अगर कार्य करता हु तो पहले सम्पूर्ण उस की जानकारी के बाद ही कोई कदम उठाता हु| तो क्या हुवा की वे दोनों साधक है? हम भी तो साधक है ना, एक तरह से ये क्रान्ति भी तो गलत कार्य ही है ना| समाज की नजरो में तो हम ब्लेक्मेइलर्स ही है ना? अगर हम लोग एक्सपोज हो गये तो ना तो कोई नौकरी की उम्मीद है और ना तो अच्छी जिन्दगी की| न तो हमारे घरवाले हमें स्वीकार करेंगे और ना तो ये संसार|लेकिन मै खुद इसीलिए आगे बढ़ना चाहता हु क्युकी मुझे परमात्मा की शक्तियों पर असीम विशवास है| और हम में से सिर्फ मेरे बारे में ये कहा जाता है की मेरे से कुछ अच्छा कार्य होगा| तो क्यु न इसी कार्य से मै शुरुआत करू? और अपने आप को ही जांच लू के क्या सही में मेरे से ऐसा कार्य संभव है की नहीं? दूसरा ये बात संजयभाई और अमरभाई तक नहीं पहुचनी चाहिये ?”

 

उदयना,” व्हाय ?”

 

जय ने उसे एक थप्पड़ रशीद किया और बोला,”साला जाडी बुध्धी ही है|

 

निशी,” ये जाडी क्या होता है ?”

 

जय,”जाडी मतलब हमारी गुजराती भाषा में मोटा कहते है| जिस का शरीर मोटा होता है उसे हम जाड़ा या जाडी बोलते है| जैसे तेरा बोडी भी फेटटीश है तो तुजे भी जाडी कह सकते है|

 

इतना कहकर जय हसने लगा तो निशी ने अपना पाँव जय को मारा|

 

साजन फिर से एक सिगरेट सुलगाई और कहा,”हां, ठीक है आगे बोल क्या करना है? चलो ये बात उन दोनों साधक तक नहीं पहचानी चाहिये, इस के आगे?

 

जय,”पहले एक सिगरेट दे|

 

निशी,”अबे साले तु तो हम से भी फास्ट स्मोकर हो गया|

 

जय ने मुस्कुराकर निशी के सामने देखा और बोला, “आगे सुनो दोस्तों, आज से जो भी तस्वीर पर से पोस्टर्स छपते है वहा उस प्रिन्टिंग प्रेस में उदयन और बिरजु उन दोनों साधको के साथ जायेंगे और अगर साथ नहीं जा सके तो ये कोशिश करेंगे की पोस्टर्स कौन से प्रिन्टिंग प्रेस में छपते है| मुनीश तुम और निशा (निशा की तरफ आख मारते हुवे इशारा करते हुवे) कौन सी ट्रान्सपोर्ट से हमारे पोस्टर्स हर शहर में पहुचे है वों पता लगाओ|साजन और निशी तुम दोनों ये पता लगाओ की कौन कौन सी कंपनी का माल का कार्टून अलग अलग साइज और अलग अलग कलर्स में पेक होता है|

 

साजन ने बीच में ही पूछ लिया,”इस की क्या जरुरत है?

 

जय,”सालो आज तक कभी ये कोशिश की है की हमारे पोस्टर्स वाला माल कैसे आता है और माल कैसे जाता है?

 

साजन, “पता है ना माल कहा से आता है और कहा जाता है?” और वो हसने लगा|

 

जय ने साजन का कोलर पकड़ा और हस के जवाब दिया,”साले, मै गुड्स की बातकर रहा हु, लड़कियों की नहीं| ध्यान से सुन, ट्रान्सपोर्ट कंपनी भी अन्जान होनी चाहिए और नेताओं के साथ उन की साठगाठ होनी चाहिये ता की उस के ट्रक्स में पोस्टर्स जा रहे है तो जब कल पुलिस पता लगायेगी तो ट्रान्सपोर्ट कंपनी के मालिको या मेनेजरो को भी पता नहीं होगा की उन की ट्रक्स में हमारा माल जा रहा है|और अगर पुलिस ज्यादा जोर लगायेगी तो ये ट्रान्सपोर्ट कंपनी के मालिक उन्ही नेतालोगो से नाक दबाकर अपना पीछा छुड़वा लेंगे और हम आज़ाद रहेंगे| दुसरा अलग अलग साइज और अलग अलग कलर के कार्टून से ओरिजिनल कंपनी वालो के पास हमारा कार्टून नहीं जायेगा, क्युकी वे अपने कार्टून को आराम से पहेचान सकते है और ट्रान्सपोर्ट कंपनी वाले जब माल की डिलीवरी कर रहे होंगे वे लोग पढ़े लिखे नहीं होते वहा हमारा आदमी कोई खास कंपनी के नाम से स्पेलिंग में थोड़ी इधर उधर कर के हमारा स्पेशियल कार्टून बनाएगा और डिलीवरी लेते वक़्त वो कहेगा की ये कार्टून हमारा है क्युकी कार्टून पर लिखी हुई कंपनी अस्तित्व में ही नहीं होगी (स्पेलिंग डीफर होने की वजह से)|”इतना कहकर जय कुछ पल रुका सास ली और फिर से बोलना शुरू किया|

 

“मै ये समजाता हु, जैसे पारले-जी बीसकीट है, उस के कार्टून हमेशा से ही व्हाईट के ऊपर ब्राउन स्ट्रिप्स रहती है, उस में अगर हम एक पिंक कलर पर ब्राउन स्ट्रिप्स का कार्टून बनाये और बाकी सब ऐसा ही रखे और पारले का स्पेलिंग में parle-G की जगह parlee-G कर दे तो डबल E होने से सब को लगेगा की ये पारले-जी की डुप्लीकेट कंपनी है और आराम से हमारा माल सही जगह तक पहुच जायेगा”

 

इतना सुनकर ही साजन का मुह खुला का खुला ही रह गया था|कुछ पल के बाद कहा, “साला तेरा तो दिमाग है या विचारों की गुफा|ऐसे दूर तक सोच ही कैसे सकता है तु ?”

 

जय, “मेरे दोस्त, बुजदिल कह के मुझे निकाल जरुर दिया था तुम लोगो ने, लेकिन मै हर सेकंड्स तुम्हारे साथ ही था| मै हर पल यही सोच रहा था की तुम लोग कैसे और क्या कर रहे हो? जब मैंने देखा की सब मास्टरी अमर और संजय की है तो मैने सोचा की नाम तो हमारे ही आनेवाले है तो क्यु ना हम ही अपना खुद का प्लान बनाए ता की समय आने पर भागने के लिए भी अपना ही मास्टर प्लान हो|

 

इतनी बात सुनकर सब ने जय की सराहना की और फिर साजन ने पुछा,” यार तु ठीक कह रहा है और अच्छा ही किया की हम सब को कार्य भी सौप दिया लेकिन मेरा कहना है की मै अपने साथ निशी की जगह निशा को ले जाऊ तो?

 

जय, “बिलकुल नहीं, काम के समय सिर्फ काम और फिर बाद में तेरा ‘काम समजा?

 

साजन ने निशी के सामने आँख मारी और मुह बिगाड़कर बोला,”ओके बोस|” निशा ने भी जोर से पैर लगाया साजन को|

 

आखिर में एक लम्बी चर्चा हुई और बहुत बहस के बाद ये तय हुवा की जय का प्लान के लिए शुरुआत कर दी जाये और अमर और संजय उन दोनों साधको को कानो कान खबर ना हो इसी तरह आगे बढ़ा जाये|

 

दो दिन के बाद पोस्टर्स छपकर आ गये और सब ने देख भी लिए| लेकिन इस बार एक नया दाव खेलने का निर्णय लिया गया था की पोस्टर्स केवल राजस्थान में नहीं बल्की पुरे हिन्दुस्तान के मुख्य शहरों में भी लगाने चाहिये| ये सुझाव भी जय का था की क्रान्ति केवल राजस्थान में नहीं बल्की पुरे हिन्दुस्तान में होने चाहिए|क्युकी हमारा दुश्मन केवल खेंगारसिंघ और रणवीरसिंघ ही नहीं बल्की पुरे हिन्दुस्तान में पैसो के जोर पर फैले हुवे कई नेता लोगो की फ़ौज है| ऐसे भी पोस्टर्स जीस तस्वीरो के ऊपर से छपे थे उन तस्वीरो में हिन्दुस्तान के कई राजकीय नेताओं की तस्वीरे शामिल थी| इसीलिए सारे हिंदुस्तान में पोस्टर्स एक साथ लगे ये अत्यंत आवश्यक था| इस विराट कार्य के लिये और भी ज्यादा पोस्टर्स की जरुरत थी| बहुत लम्बी चर्चा के बाद ये तय किया गया की पोस्टर्स ज्यादा छपवाये जाये जिस के लिए फंड की जरुरत भी थी|

 

इस प्लान में जय का दाव ऐसा था की और भी ज्यादा पोस्टर्स छपवाने के लिए समय और पैसा दोनों जरुरी है| पैसा इकठ्ठे करने के लिये जय के पास दुसरा प्लान था और समय मिले तो जय ट्रान्सपोर्ट कम्पनी और अलग अलग कंपनी के नाम से कार्टून तैयार करने के कार्य में उपयुक्त समय बिताना चाहता था ता की कार्य आसानी से हो सके और कीसी को खबर ना हो इस तरह से हो सके| जय ने पोस्टर्स के खर्चे के लिए फंड के लिए एक नया प्लान बनाया और इस के लिए बताया की स्वामी रामानंद की शिबिर एक साथ हिन्दुस्तान के अनेक गावो और शहेरो में आयोजित की जाये और उस में आया हुवा फंड को इस मिशन में लगाया जाये|जब ये प्रस्ताव सब के बीच रखा गया तो लम्बी चर्चा के बाद सब सहमत भी हो गये| संजयभाई और अमरभाई को ये जवाबदारी सौपी गई थी की जो फंड उस शिबिर के दौरान इकठ्ठा हुवा हो उस में से कुछ एमाउन्ट क्रान्ति के लिए आलग से निकाले जाये और स्वामीजी की परमिशन ले ली जाये|

 

ऐसा करने से भी जय का एक और प्लान चल रहा था की स्वामी रामानंद की शिबिर की तैयारी और वो भी एकसाथ अनेक जगहों पर आयोजित करनी और इस के लिए फंड इकठ्ठा करना वगैरह की तैयारी में संजयभाई और अमराभाई का समय ज्यादा से ज्यादा बीते और उस दौरान उन दोनों से ट्रान्सपोर्ट कंपनी और कंपनी के कार्टून की ज्यादा जानकारी हासिल कर के उस का विशवास जितने के बाद बाकी के क्रान्तिकारियो को जवाबदारी सौपी जाये| ता की उन दोनों साधको को ज़रा भी शक ना हो की उन लोगो को अँधेरे में रखकर भी कुछ प्लानिंग हो रही है|

 

एक घंटे के अन्दर स्वामी रामानंद की अनुमति मिल गई और एक सप्ताह के बाद एकसाथ अनेक जगहो पर शिबिर आयोजित करने का फैसला किया गया| जय का दुसरा भी विचार ये था की इस शिबिर के प्रचार कार्य से भी राजकीय नेताओं से पीडीत लोगो है उसे इकठठा किया जाये और इस कार्य में उसे परोक्ष रूप से जोड़ दिया जाये| ऐसे परोक्ष तरीके से जुडनेवालो को कभी पता नही लगाना चाहिये की असल में क्रांतिकारी कौन है| इस तरीके से क्रान्ति की ज्वाला बड़ी हो जायेगी और पुरे देश के राजकारणीयो के दात खट्टे हो जायेंगे और वे लोग ढूढते रह जायेंगे की असल में कौन है जो क्रान्ति की जवाला फुक रहा है| दुसरा शिबिर के प्रचार कार्य के लिए पोस्टर्स छपावाए जाते थे उसी के साथ ये पोस्टर्स भी एक ख़ास राजकीय नेता से पीडीत साधारण सा प्रिन्टिंग प्रेस के मालिक को भी आसानी से इस कार्य में शामिल कर दिया गया| स्वामीजी के नाम पर सब क्रांतिकारी अटूट बंधन में जुड़ चुके थे और एक दुसरे से जुड़ चुके थे|सिर्फ जय का दिमाग अलग तरीके से कार्य कर रहा था और जाने अनजाने में मास्टर प्लान तैयार हो जाता था|

 

सब को हैरानी थी की जय को ऐसे विचार आते कैसे थे? खुद जय हैरान था की वो इस कार्य में इतना डूब कैसे गया की ऐसे विचार आने लगे थे जो आज तक कीसी को नही आते थे|

 

एक सप्ताह के अन्दर स्वामीजी की शिबिर आयोजित सभी जगहो पर की गई और करोडो रुपये का फंड चुटकीभर में इकठ्ठा हो गया और उस में से लाखो रुपये क्रान्तिकारीयो के पास आने लगा| उस रुपयों से पुरे हिन्दुस्तान के बड़े बड़े शहरों के लिए आसानी से पोस्टर्स बन गये| नागपुर में ही प्रतापनगर में एक बड़ा कमरा भाड़े पर ले लिया गया था| सीटी के बीच ही कमरा भाड़े पर लेने का सुजाव भी जय का था क्युकी जय के मत अनुसार सीटी के बीच रहेंगे तो ज्यादा शक कीसी को नहीं जायेगा| दूसरा क्रान्ति के पोस्टर्स के साथ शिबिर के पोस्टर्स और सुविचार के पोस्टर्स भी साथ लाये गये थे|इस का अलग अलग 10 कम्पनीयों के नाम से अलग अलग साइज में कार्टून बनाये गये और केवल तीन दिन और तीन रात में पोस्टर्स सब जगह पहुचा दिये गये थे| स्वामीजी की शिबिर का बखूबी उपयोग क्रान्तिकारियो ने कर लिया था|और इस कार्य की पुरी जवाबदारी मुनीश-निशा और साजन-निशी की जोडियो ने निभाई थी|

 

जय के एक और आगजनी विचार में खुल्लेआम वे पोस्टर्स चिपका दिया जाये तो भी कोई परवा नहीं थी| क्युकी आम जनता अगर पोस्टर्स लगाती है तो पुलिस भी किस किस को पकड़ेगी? और क्या कारवाई कर पायेगी?

 

और आखिर वो दिन आ ही गया की सब पोस्टर्स दिन दहाड़े पुरे हिन्दुस्तान के बड़े बड़े शहरो में एक साथ चिपकाने लगे| और सचमुच चमत्कार हुवा| आज तक क्रांतिकारी अँधेरे में पोस्टर्स लगाते आये थे और सुबह पता चलता था| लेकिन इस बार एक ही दिन और उसी रात में खुल्लेआम सब आम जनता पोस्टर्स चिपका रही थी| सब प्रादेशिक भाषाओं के न्यूजपेपर्स में एक साथ तरह तरह के न्यूज शाम से ही आने लगे (क्युकी कुछ अखबार शाम के वक़्त भी छपते है)| करीब आधे घंटे में ही बड़े बड़े नेताओं को खबर मिलने लगी की उस की इज्जत को सरे आम पोस्टर्स के रूप में आम आदमी नीलाम कर रहे है|

 

बस फिर क्या था, मेट्रो सीटीज में तो तुरंत पुलिस दौड़ पडी थी| लेकिन बड़े बड़े और छोटे छोटे शहरों में पोलिटिशियन्स पुलिस को दौडाए उस के पहले एक साथ बड़े बड़े जगहों पर पोस्टर्स चिपक चुके थे| इस बार पोस्टर्स में सब नेतालोगो के चेहरे स्पष्ट तरीके से दिखे इस तरह से छपवाये गये थे| ये आइडिया भी जय का था|कुल मिलाकर जाने अनजाने में जय इस क्रान्ति के पहले कदम पर ही रिंगलीडर बन चुका था| क्युकी जय के सारे आइडीयाज फुलप्रूफ थे|और इस का अंजाम क्या होगा? कौन जाने कहा??

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10 Comments

Sandhya Prakash

16-Jul-2022 07:10 PM

Ek part wo bhi teen mhiine bad, ye to reders ke sath cheating h. 😔

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PHOENIX

17-Jul-2022 04:45 AM

I know. But I can't manage right now. Lots of work with me.

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Shrishti pandey

16-Jun-2022 10:33 AM

Very nice

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PHOENIX

16-Jun-2022 11:31 AM

Thank you.

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Sona shayari

16-Jun-2022 08:56 AM

Bahut khub

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PHOENIX

16-Jun-2022 11:31 AM

Thank you

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